मेरा कितना ख़्याल रक्खा है उसने ख़ुद को संभाल रक्खा है दर्द से दोस्ती है बरसों की दर्द सीने में पाल रक्खा है मेरी दरियादिली ने ही मुझको गहरे दरिया में डाल रक्खा है उसने मुश्क़िल का हल बताने में और मुश्क़िल में डाल रक्खा है घर की बढ़ती ज़रुरतों ने उसे घर से बाहर निकाल रक्खा है © Dinesh Raghuvanshi : दिनेश रघुवंशी