प्रिय मिलने का वचन भरो तो

सौ-सौ जन्म प्रतीक्षा कर लूँ प्रिय मिलने का वचन भरो तो पलकों-पलकों शूल बुहारूँ अँसुअन सींचूँ सौरभ गलियाँ भँवरों पर पहरा बिठला दूँ कहीं न जूठी कर दें कलियाँ फूट पड़े पतझर से लाली तुम अरुणारे चरन धरो तो रात न मेरी दूध नहाई प्रात न मेरा फूलों वाला तार-तार हो गया निमोही काया का रंगीन दुशाला जीवन सिंदूरी हो जाए तुम चितवन की किरन करो तो सूरज को अधरों पर धर लूँ काजल कर आंजूँ अंधियारी युग-युग के पल-छिन गिन-गिनकर बाट निहारूँ प्राण तुम्हारी साँसों की ज़ंजीरें तोड़ूँ तुम प्राणों की अगन हरो तो © Bharat Bhushan : भारत भूषण