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मक़सद

मक़सद कुछ ज़िंदगी का ऊँचा बना के देख
संकल्प दृढ़ हो मन में, फिर क़दम बढ़ा के देख
तेरी ज़िंदगी भी रोशनी से पुरनूर होगी
किसी की चौखट पे तू भी दीपक जला के देख

© Ajay Sehgal : अजय सहगल

 

रुकना इसकी रीत नहीं है

रुकना इसकी रीत नहीं है
वक़्त क़िसी का मीत नहीं है

जबसे तन्हा छोड़ गए वो
जीवन में संगीत नहीं है

माना छल से जीत गए तुम
जीत मगर ये जीत नहीं है

जिसको सुनकर झूम उठे दिल
ऐसा कोई गीत नहीं है

जाने किसका श्राप फला है
सपनों में भी ‘मीत’ नहीं है

© Anil Verma Meet : अनिल वर्मा ‘मीत’

 

Ramesh Sharma : रमेश शर्मा

नाम : रमेश शर्मा
जन्म : 6 अप्रैल 1961; नीमच (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : कला स्नातक

निवास : चित्तौड़गढ़

6 अप्रैल सन् 1961 को मध्य प्रदेश के नीमच ज़िले में जन्मे रमेश शर्मा वर्तमान समय के एक ऐसे सादा रचनाकार हैं, जिनकी सादगी उन्हें ख़ास बनाती है। गीत जैसी शास्त्रीय विधा को किस हद तक आम किया जा सकता है इसका अंदाज़ा रमेश शर्मा के गीतों को सुन-पढ़कर लगाया जा सकता है।

मरुथल से अभिशप्त राजस्थान जिस प्रकार अपनी तमाम विसंगतियों के बावजूद अपने वैभव के लिए विख्यात है उसी प्रकार जीवन के तमाम संघर्षों के बीच चित्तौड़गढ़ के छोटे से गाँव सेगवा के रमेश शर्मा अपने गीतों की सच्चाई और सादगी के लिए जाने जाते हैं।

कला विषयों से स्नातक करने वाले रमेश शर्मा के गीतों से गाँव की वह सौंधी ख़ुश्बू उठती है जो यकायक सबको जानी-पहचानी ही लगती है। दरअस्ल रमेश जी के गीतों में वह अनोखापन है जिसे भोगते तो सब हैं किन्तु पकड़ कोई नहीं पाता। रमेश जी ने इस अनोखेपन को बड़े भोलेपन से गीतों में पिरोया है यही कारण है कि
वाचिक परंपरा की इक्कीसवीं सदी के परिप्रेक्ष्य में रमेश जी न केवल अपने गीतों की भव्यता लिए स्थापित हुए बल्कि लोकप्रियता के नए मापदण्ड भी तय किए।

 

Dinesh Raghuvanshi : दिनेश रघुवंशी

नाम : दिनेश रघुवंशी
जन्म : 26 अगस्त 1964 (बुलंदशहर)
शिक्षा : स्नातकोत्तर

निवास : फरीदाबाद

26 अगस्त सन् 1964 को बुलंदशहर के खैरपुर ग्राम में जन्मे दिनेश रघुवंशी वर्तमान वाचिक परंपरा में सर्वाधिक सक्रिय हस्ताक्षरों में गणित किए जाते हैं। संबंधों की पीड़ा और अनुभूति की बेहद संस्पर्शी संवेदना के गीत और मुक्तक दिनेश जी की काव्य-प्रतिभा के विशिष्ट अंग हैं।
मेरठ विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के बाद आप मोदी रबर लिमिटेड में सीनीयर एक्ज़ीक्यूटिव के पद पर नियुक्त हुए। अनेक साहित्यिक सम्मान और पुरस्कारों से अलंकृत यह रचनाकार इस समय पूर्णतया काव्य-साधना में संलग्न है। ‘आसमान बाक़ी है’, ‘दो पल’ और ‘अनकहा इससे अधिक है’
शीर्षक से आपके काव्य संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। अनेक देशों में अपनी कविता लेकर हिन्दी और हिन्दोस्तां की गूंज गुंजाने वाले दिनेश रघुवंशी के गीतों में मानवीय संबंधों की एक ऐसी संवेदना है, जिसको सुनकर उससे प्रभावित हुए बिना रह पाना लगभग नामुमक़िन हो जाता है।
‘आम’ से दिखने वाले पारिवारिक क़िरदारों पर दिनेश जी के ‘ख़ास’ गीत व मुक्तक स्वयं में अनोखे हैं। कवि सम्मेलनों के मंचों का जीवंत संचालन करने में दक्ष दिनेश जी, अपनी पीढ़ी के सर्वाधिक लोकप्रिय रचनाकारों में से एक हैं।
आपके विषय में वरिष्ठ कवि मंगल नसीम का मानना है- ”दिनेश रघुवंशी आज की हिन्दी ग़ज़ल की दुनिया में सर्वाधिक चर्चित युवा ग़ज़लकारों में गिने जाते हैं। ग़ज़ल विधा में गहरी पैठ, अद्भुत शे’री समझ, सटीक शब्द चयन, विषय की पूरी जानकारी, ग़ज़ब का आत्मविश्वास और ख़ूबसूरत कलात्मक प्रस्तुति के बल पर यह युवा
शाइर हिन्दी ग़ज़ल का स्वर्णिम पल माना जा सकता है।”