ज़िन्दगी को जिया मैंने इतना चौकस होकर जैसे कि नींद में भी रहती है सजग चढ़ती उम्र की लड़की कि कहीं उसके पैरों से चादर न उघड़ जाए। © Alka Sinha : अलका सिन्हा
ज़िन्दगी को जिया मैंने इतना चौकस होकर जैसे कि नींद में भी रहती है सजग चढ़ती उम्र की लड़की कि कहीं उसके पैरों से चादर न उघड़ जाए। © Alka Sinha : अलका सिन्हा