ब्रह्म मैं ढूंढ्यो पुरानन गानन

ब्रह्म मैं ढूंढ्यो पुरानन गानन, वेद ॠचा सुनि चौगुने चायन देख्यो सुन्यो कबहूँ न कहूँ वह कैसे सरूप औ कैसे सुभायन टेरत हेरत हारि परयो रसख़ान बतायो न लोग लुगायन देख्यो दुरो वह कुंज कुटीर में बैठो पलोटत राधिका पायँन © Raskhan : रसखान