अमन बेच दिया है

राग-अनुराग व सुहाग सब बेच दिया भावना का किसी ने सुमन बेच दिया है ममता का मोल बोलने में जीभ खाए झोल रोटियों में भोला बचपन बेच दिया है कामना का भाल विकराल इतना हुआ कि लालच में घर का अमन बेच दिया है दौलत की भूख यूँ बढ़ी कि मज़बूर हो के कल रात बेटी ने बदन बेच दिया है © Charanjeet Charan : चरणजीत चरण