हर इक इंसान को इक दिन मुहब्बत आजमाती है किसी से रूठ जाती है किसी पर मुस्कुराती है भला इंसान की तक़दीर का ये खेल है कैसा किसी का कुछ नहीं जाता किसी की जान जाती है © Dinesh Raghuvanshi : दिनेश रघुवंशी
हर इक इंसान को इक दिन मुहब्बत आजमाती है किसी से रूठ जाती है किसी पर मुस्कुराती है भला इंसान की तक़दीर का ये खेल है कैसा किसी का कुछ नहीं जाता किसी की जान जाती है © Dinesh Raghuvanshi : दिनेश रघुवंशी