रिमोट

रोज़ रौंदते रहे उसे तुम उसका कुछ भी छुपा नहीं है तुमसे तुमने अच्छे से खंगाल कर निचोड़ कर बरता है उसे एक छत के नीचे साथ रह कर भी कई बार उसके हिस्से की साँसें भी खींच ली तुमने और उसकी साँसें रुंधा गईं फिर भी तुम कहते हो शपथ लेकर अपने बयान में कि उसने तुम्हारा साथ नहीं दिया और रिश्तों में दरार पड़ गई आख़िर कैसा साथ चाहते थे तुम उसका? तुम्हें आदत थी घर में बेजान चीजों क़ो सजाने की उन्हें रिमोट से चलाने की शायद उस में यही कमी थी वह रिमोट से चलने वाली गुड़िया नहीं थी। © Vivek Mishra : विवेक मिश्र