प्‍यार एक छाता

विपदाएँ आते ही, खुलकर तन जाता है हटते ही चुपचाप सिमट ढीला होता है; वर्षा से बचकर कोने में कहीं टिका दो, प्‍यार एक छाता है आश्रय देता है गीला होता है। © Sarveshwar Dayal Saxena : सर्वेश्वर दयाल सक्सेना